एक डोली चली एक अर्थी चली भजन लिरिक्स

एक डोली चली एक अर्थी चली लिरिक्स

एक डोली चली एक अर्थी चली लिरिक्स

एक डोली चली एक अर्थी चली लिरिक्स

॥ दोहा ॥

याद रख सिकंदर के हौसले आली थे ॥
जब गया दुनिया से तो दोनों हाथ खाली थे ॥


एक डोली चली, एक अर्थी चली।
फर्क दोनों में क्या, ये बता दे सखी।
चार तुझमे लगे , चार मुझमे लगे।
फूल तुझ पर चढ़े , फूल मुझ पर चढ़े।
फर्क दोनों में क्या , अरे सुन ले सखी।
तू पिया को चली , मैं पिया से चली।


एक डोली चली, एक अर्थी चली।
फर्क दोनों में क्या, ये बता दे सखी।
मांग तेरी भरी, मांग मेरी भरी।
चूड़ी तेरी हरी, चूड़ी मेरी हरी |
फर्क दोनों में क्या, अरे सुन ले सखी।
तू जहाँ को चली, मैं जहाँ से चली ।


एक डोली चली, एक अर्थी चली।
फर्क दोनों में क्या, ये बता दे सखी ॥
तुझे देखे पिया, तेरे हसते हुए।
मुझे देखे पिया, मेरे रोते हुए
फर्क दोनों में क्या, अरे सुन ले सखी।
तू विदा हो चली, मैं अलविदा हो चली।


एक डोली चली, एक अर्थी चली।
फर्क दोनों में क्या, ये बता दे सखी।
तू तो बैठ के चली , मैं लेट के चली।
तू घर बसाने चली, मैं शमसान चली।
फर्क दोनों में क्या , अरे सुन ले सखी।
तू लकड़ी से चली , और मैं लकड़ी में जली ॥

एक डोली चली, एक अर्थी चली।
फर्क दोनों में क्या, ये बता दे सखी।
फर्क दोनों में क्या, ये बता दे सखी।
फर्क दोनों में क्या, ये बता दे सखी।

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