Jai mahakal lyrics / तू ही अन्त तू अनन्त है भजन लिरिक्स


॥ तू ही अन्त तू अनन्त है लिरिक्स ॥

तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ...
जय महाकाल ....
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ....
जय महाकाल ....
मेरे माथे जो लगा उस चन्दन में तू ।
श्रष्ठी का जीव से है जो नाता वो तू ।।
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ....
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ...
जय महाकाल ....

हे नागधारी त्रिनेत्रधारी ,
शम्भू विशाला गले रुंड माला ।
जटा गंग साजे संग नंदी विराजे ,
हे पालक जगत का विनाशक भी तू ।।
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ...
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ...
जय महाकाल ....

निराकार आकर साकार पतवार ,
निराधार आधार आभार ओंकार ।
सकल श्रष्ठी अनुराग और राग-बेराग ,
जो हलाहल पिये वो सदाशिव है तू ।।
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू .....
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ....
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ....
जय महाकाल ....जय महाकाल ....
जय महाकाल ....

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