सनातन की संतान लिरिक्स

सनातन की संतान लिरिक्स

सनातन की संतान लिरिक्स
सनातन की संतान लिरिक्स

Song - Sanatan Ki Santan
Singer ,Lyricist & Composer Jagirdar RV
Music Production Prod ANKY
Poster Nps design
Lyrical Video and Vfx -Np Soni& Nikhil Raj Rathore
Mix Jagtar Singh
Master Devang Rachh (Tonework Studio )

सनातन की संतान लिरिक्स


मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मेरे सीने बसते सीयाराम
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान

मैं ही रामायण गीता ज्ञान
मैं महाभारत में अर्जुन बाण
मैं पीता ज़हर मैं भोलेनाथ
मैं ही ब्रह्मा मुझसे ब्रह्माण्ड

निर्भीक निडर निर्णायक हूँ
केशव कान्हा सा नायक हूँ
मैं सदा न्याय की बात करूँ
मैं सदा सत्य का गायक हूँ

मैं अरुण उजाला तेज भयंकर
पाप नाश करूँ बनके शंकर
शत्रु संधि कभी नहीं
मैं ध्वज गाड़ दु छाती चढ़कर

परशुराम की शक्ति हूँ
मैं ही मीरा की भक्ति हूँ
आधार सभी का बना हूँ मैं
मैं ही अंबर और धरती हूँ

मैं मानवता जीवन रेखा
उत्थान पतन सबका देखा
पर मिटा ना कभी अस्तित्व मेरा
मैं कभी लोभ में ना बहका

मैं रणभूमि में बनता काल
युद्ध में रणनीति बुनता जाल
ताक़तवर से भयभीत नहीं
मैं सदा लाचार की बनता ढाल

मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मेरे सीने बसते सीयाराम
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान

मैं मर्यादा में रहता हूँ
पर अति कभी ना सहता हूँ
मैं कभी हिमालय अचल रहु
मैं कभी गंगा सा बहता हूँ

चाहे रावण या हो दुर्योधन
एक बार सभी को चेताया
पर ना समझे मेरी बात को वो
तो मृत्यु मेघ को बरसाया

मैं तान सुनाता मुरली की
पर बाण चलाना आता है
चाहे पाप समंदर कितना भी
मुझे सेतु बांधना आता है

असुरों का संहार हूँ मैं
कभी रण काली विकराल हूँ मैं
मैं ही दुर्गा और मैं ही भवानी
दुष्टों का श्मशान हूँ मैं

केवल गिरिवर का धारी ना
साथ सुदर्शन चक्र भी है
है हंसवाहिनी सरस्वती
दुष्टों को निगलता मक्र भी है

मैं महावीर सा ज्ञाता हूँ
मैं ही बुद्ध का परम ध्यान
संसार चले मेरी मर्ज़ी से ,
मुझसे ही है विधि विधान

मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मेरे सीने बसते सीयाराम
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान

मन मस्तिष्क में दया प्रेम
पर धर्म के ख़ातिर सर काटे
वेद पुराण का ज्ञान दिया
और वचन के ख़ातिर वन काटे

सदा करुणा का पाठ पढ़ाया
मानवता का मार्ग दिखाया
झूठ कपट् ना लोभ लाभ ,
सदा सत्य साथ निभाया

मुझमें लिखी ही सती कहानी
मुझमें बसी है राधा रानी
मुझमें नानक ग़ुरबानी
और मुझमें ही विष्णु वाणी

मैं अग्नि का हूँ अलख रूप
और कभी दिखता हिम सा अनूप
अवतार अनेकों बसे है मुझमें
मुझसे ही है सूर्य धूप

है त्याग दिया जौहर सा मैंने
बना हूँ पौरस की हूँ ललकार
मैं कभी अशोक सा दानी हूँ
कभी राणा की मैं हूँ फटकार

मैं वीर शिवा सा युद्ध लड़ता
मैं विवेकानंद जीवन आधार
मैं कभी लचित सा राष्ट्र भक्त
मैं दीनदयाल का हूँ कल्याण

मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मेरे सीने बसते सीयाराम
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान

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