श्री राधा चालीसा लिरिक्स

श्री राधा चालीसा लिरिक्स

श्री राधा चालीसा लिरिक्स
श्री राधा चालीसा लिरिक्स

Song: Shree Radha Chalisa
Presented by: Drop In Bhakti
Vocals: Pallavi Tripathi
Music: Rajat Sharad
Lyrics: Traditional
Music Production, Mix & Master: Jimil

श्री राधा चालीसा लिरिक्स


॥ दोहा ॥

श्री राधे वृषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी, प्राणवौ बारम्बार ॥
जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण-प्रिया सुखधाम।
चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम ॥

॥ चौपाई ॥

जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा ।
कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥

नित्य विहारिणी श्यामा अधारा ।
अमित मोघ मंगल दातारा ॥

रास विलासिनि रस विस्तारिनी ।
सहचरी सुभग यूथ मन भावनी ॥

नित्य किशोरी राधा गोरी ।
श्याम प्राणधन अति जिय भोरी ॥

करुना सागर हिय उमंगिनी ।
ललितादिक सखियन की संगिनि ॥

दिनकर कन्या कूल विहारिणी ।
कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुल्सवनि ॥

नित्य श्याम तुम्हरौ गुण गावे ।
राधा राधा कहि हर्षावे ॥

मुरली में नित नाम उचारें ।
तुम कारण लीला वपु धारें ॥

प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।
श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ॥

नवल किशोरी अति छवि धामा ।
ध्यूति लघु लाग कोटि रति कामा ॥

गौरांगी शशि निंदक वदना ।
सुभग चपल अनियारे नयना ॥

जावक युग युग पंकज चरना ।
नूपुर ध्वनि प्रीतम मन हरना ॥

सन्‍तत सहचरि सेवा करहीं ।
महा मोद मंगल मन भरहीं ॥

रसिकन जीवन प्राण अधारा ।
राधा नाम सकल सुख सारा ॥

अगम अगोचर नित्य स्वरूपा ।
ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥

उपजेउ जासु अंश गुण खानी ।
कोटिन उमा रमा ब्रह्मनी ॥

नित्य धाम गोलोक विहारिनि ।
जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ॥

शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।
पार न पाय शेष अरु शारद ॥

राधा शुभ गुण रूप उजारी ।
निरखि प्रसन्‍न होता बनवारी ॥

ब्रज जीवन धन राधा रानी ।
महिमा अमित न जाय बखानी ॥

प्रीतम संग देई गल बाहीं ।
बिहरत नित वृन्दावन माहीं ॥

राधा कृष्ण कृष्ण है राधा ।
एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ॥

श्री राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख दायक प्रफुल्लित बदानी ॥

कोटिक रूप धरे नन्द नन्‍दा ।
दरश करन हित गोकुल चन्‍दा ॥

रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।
मान करो जब अति दुःख पावें ॥

प्रफुलित होत दरश जब पावें ।
विविध भांति नित विनय सुनावें ॥

वृन्‍दावन विहारिणि श्यामा ।
नाम लेत पूरण सब कामा ॥

कोटिन यज्ञ तपस्या करहूँ ।
विविध नेम व्रत हिय में धरहूँ ॥

तऊ श्याम भक्ताही अपनावें ।
जब लगि राधा नाम न गावें ॥

वृंदाविपिन स्वामिनी राधा ।
लीला वपु तव अमित अगाधा ॥

स्वयं कृष्ण पावै नहिं पारा ।
और तुम्‍हैं को जानन हारा ॥

श्रीराधा रस प्रीती अभेदा ।
सादर गान करत नित वेदा ॥

राधा त्यागि कृष्ण को भजिहैं ।
ते सपनेहुँ जग जलधि न तरिहैं ॥

कीरति कुँवरि लाडली राधा ।
सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ॥

नाम अमंगल मूल नासवन।
त्रिविध ताप हर हरि मनभावन ॥

राधा नाम ले जो कोई ।
सहजहिं दामोदर वश होई ॥

राधा नाम परम सुखदायी ।
सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥

यदुपति नंदन पीछे फिरिहैं ।
जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैं ॥

रास विहारिनि श्यामा प्यारी ।
करहुँ कृपा बरसाने वारी ॥

वृन्दावन है शरण तुम्हारी ।
जय जय जय वृशभानु दुलारी ॥
जय जय जय वृशभानु दुलारी ॥
जय जय जय वृशभानु दुलारी ॥

॥ दोहा ॥

श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर घनश्याम ।
करहुँ निरंतर बास मैं, श्री वृन्दावन धाम ॥

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