णमोकार | नवकार मंत्र लिरिक्स (ऋषभ संभव जैन)

णमोकार | नवकार मंत्र लिरिक्स

(ऋषभ संभव जैन)

णमोकार | नवकार मंत्र लिरिक्स (ऋषभ संभव जैन)
णमोकार | नवकार मंत्र लिरिक्स (ऋषभ संभव जैन)

Title - Navkar Mantra by RSJ
Singer - RSJ (Rishabh Sambhav Jain)
Composer - RSJ (Rishabh Sambhav Jain)
Lyricist - RSJ (Rishabh Sambhav Jain)
Programmer - Swapnil Tare
Mix & Master - Hanish Taneja

णमोकार मंत्र:-

णमोकार मंत्र, जिसे नवकार मंत्र भी कहा जाता है,
जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय मंत्र है।
यह पंच परमेष्ठी (पाँच परम पूज्य आत्माओं) को नमन करता है
और जैन धर्म के अहिंसा, सत्य और
आत्म-शुद्धि के सिद्धांतों को अभिव्यक्त करता है।

इतिहास:-

णमोकार मंत्र की उत्पत्ति प्राचीन जैन धर्म के प्रारंभिक काल में हुई मानी जाती है। यह मंत्र प्राकृत भाषा में लिखा गया है और इसे सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी संजोया गया है। यह मंत्र किसी विशेष देवता की पूजा नहीं करता, बल्कि उन आत्माओं का वंदन करता है जिन्होंने आत्म-साक्षात्कार प्राप्त किया है या जो उस मार्ग पर हैं। यह मंत्र जैन धर्म के मूल्यों को आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करता है, जिससे यह सदैव प्रासंगिक बना रहता है।

णमोकार मंत्र का अर्थ:

णमो अरहंताणं - मैं अरिहंतों (साक्षात्कार प्राप्त आत्माओं) को नमन करता हूँ।
णमो सिद्धाणं - मैं सिद्धों (मुक्त आत्माओं) को नमन करता हूँ।
णमो आइरियाणं - मैं आचार्यों (धर्मगुरुओं) को नमन करता हूँ।
णमो उवज्झायाणं - मैं उपाध्यायों (आध्यात्मिक शिक्षकों) को नमन करता हूँ।
णमो लोए सव्व साहूणं - मैं संसार के सभी साधुओं को नमन करता हूँ।
एसो पंच णमोक्कारो - यह पाँच परमेष्ठियों को को नमन करता हूँ।
सव्वपावप्पणासणो - सभी पापो का नाश करने वाला है
मंगलाणं च सव्वेसिं - और सभी मंगलो में
पढमं हवइ मंगलं - प्रथम मंगल है

णमोकार | नवकार मंत्र लिरिक्स

(ऋषभ संभव जैन)


घटाओं में है, वादियों में,
आसमां, जमीन में है
जीत में है, हार में है
सबके यकीन में है
है सम में वो, विषम में वो
वही तो विद्यमान है
मनुष्य पात नीर घट
उसी के सब निशान है
है जिनके आगे झुकते
आसमां, धरा, महेंद्र है
सुबह, दोपहर, शाम
जिनको पूजते जिनेन्द्र है
जो मोक्ष मार्ग पाने का
एक मात्र यंत्र है
वो मंत्रों का राजा
णमोकार मंत्र है
नमो....

भवो भवो के बन्धनों से
छूटने का सार है
जो चीर पत्थरों को दे
वो बहती एक धार है
है शांति का संदेश
प्रेम का ये पाठ है
न खोल पाए पाप ऐसी
पूण्य की ये गांठ है

हो मेघ बरसे मेघ बरसे
वो भी बरसे साथ में है
है धुप में है छाँव में
वो है अँधेरी रात में
दधक दधक दधक
दधकती वो तो एक मशाल है
है पूण्य की वो खान
पाप रोकने की ढाल है
ॐ नमो नमः
ॐ णमो अरिहंताणं
ॐ णमो अरिहंताणं
ॐ नमो नमः

तीन लोक छः दिशायें
नौ ग्रहों में वास है
रगों रगों में दौड़ता
ये जिंदगी की स्वांश है
अणु अणु में है समाया
भुत में भविष्य में
समन्दरों की शीप में है
कर्ण में है दृश्य में

एक एक शब्द जिसका
पूण्य की खदान है
महात्मा पढ़े जिसे
ये वो ही सर्व ज्ञान है
ये दिव्य है प्रचण्ड है
ये मंत्र तो महान है
जैनो का मान है
जैनो की शान है

हर दसक्षर इसके
पुरे विश्व के समान है
नौपदों में है छुपे
जमीन आसमान है
ये ध्यान है ये ज्ञान है
ये विश्व का प्रमाण है
ये आदि है ये अंत है
सकल जगत का प्राण है

ये धुप है ये छाँव है
ये मोक्ष का पड़ाव है
तीर्थंकरों को जानने की
ये अनोठी नाव है
रंग में मृदंग में
ये गूंज में समायें है
भवो भवो के बन्धनों से
बचने का उपाय है

ॐ णमो नमः
ॐ णमो अरहंताणं
ॐ णमो श्री सिद्धाणं
ॐ णमो आइरियाणं
ॐ णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं
एसो पंच णमोक्कारो
सव्वपावप्पणासणो
मंगलाणं च सव्वेसिं
पढमं हवइ मंगलं
पढमं हवइ मंगलं
पढमं हवइ मंगलं
पढमं हवइ मंगलं

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