हरी मुझे भूल गए लिरिक्स (नरसी)

हरी मुझे भूल गए लिरिक्स

(NARCI)

हरी मुझे भूल गए लिरिक्स (NARCI)
हरी मुझे भूल गए लिरिक्स (NARCI)

Song: Hari Mujhe Bhool Gaye
Rap & Lyrics: Narci
Vocals: Swami Mukundananda
Music & Arrangement: Narci
Mixing & Mastering: Xzeus

हरी मुझे भूल गए लिरिक्स

(NARCI)

अपने इस जीवन में
भगवान को बिच में डालो
और जो करते हो
उनकी ख़ुशी के लिए करो
तुम जहाँ जाओ
फील करो
वो साथ में हैं
वो मेरे साक्षी हैं
और मेरे रक्षक हैं

मैं जीत हार से परे हूँ
बैठा तेरे पैरों पे
आत्मा तो त्रेता में
ये काया घुमे शहरों में
ना आशा या प्रतीक्षा
बैठा कर्मों के में घेरों में
नाम लेके तेरा घूमूं
माया के अंधेरों में
तेरा ही है, तेरा ही है
तेरा ही है, सब प्रभु
आगे तेरे रूप के मैं
खुद बता दे क्या कहूँ
मांगने कि सूची में
न कुछ लिखा है मेरी
बस इतना बोल देना
तेरे साथ मैं तो खड़ा हूँ
मैंने क्या कमाया जो
मैं दावा करूँ चीज़ों पे
तेरी है दीवानगी
क्या पीछे भागूं पैसों के ?
पैसों को कमाने कि भी
दे दी राहें सौ मुझे
है तेरा अधिकार प्रभु
धरा के भी जीवों पे
आपने ही दिया सारा
आपको न्योछावर
दुनिया से मैं कट चूका हूँ
बन चुका हूँ पागल
पागलों के जैसे घूमूं
धाम तेरे साल भर
कभी बैठा काशी,
कभी वृन्दावन में दाखिल
पीड़ा भी स्वीकार करी
जपके माला राम कि
मीरा जैसी हो चुकी है
कला भी ये श्याम कि
कल को मुझे दोगे यदि
मौत मेरे नारायण
उसका भी ना डर क्यूंकि
वो भी दोगे आप ही
ना सोचता हूँ कौन मेरी
ज़िन्दगी से दूर गये
कौन मेरे दिल को
हाँ तोड़के हुज़ूर गए
कांपता है दिल पर
सोच के ये रोज़ कि
होगा मेरा क्या यदि
हरी मुझे भूल गए ?
हरी मुझे भूल गए
तो आँखें ये तालाब है
यदि हरी मुझे भूल गए
मेरी कला पूरी ख़ाक है
यदि हरी मुझे भूल गए
तो मेरी सांसे मुझे भूल गई
यदि हरी मुझे भूल गए
फिर जीने का क्या लाभ है

क्या प्रभु कमाया मैंने
क्या प्रभु गवाया
किया कर्म मेरा
ना तुमसे छुप है पाया
आया मुड़ के भी नतीजा था
जो कर्मों ने कमाया
हँसी , पीड़ा , सजा मैंने
सब कुछ ही अपनाया
तेरा ही है, तेरा ही है
तेरा ही है, सब प्रभु
आगे तेरे रूप के मैं
खुद बता दे क्या कहूँ
मांगने कि सूची में
न कुछ लिखा है मेरी
बस इतना बोल देना
तेरे साथ मैं तो खड़ा हूँ
शायर तेरा पापी है
ना दिल है योग्य माफ़ी के
सब प्रभु तुम्हें पता
ना कुछ बताना बाकी है
पाप देख के भी मुझको
दे रहे हो मौके जो
ये देख मेरी शर्म से
हाँ नीचे दोनों आँखें है
क्षमा करो पापों को
प्रभु तेरा धाम दो
पैरों में ही तेरे
पापी को भी स्थान दो
छूटे चाहे साथ
ज़िन्दगी के सुखों का
मैं जैसे हाँ प्रह्लाद के
ना छोडू तेरे नाम को
फीके लगने लग चुके
दुनिया के भी भोग ये
आना तेरे पास ही
सारा कुछ भोग के
होंठ हारे दास के
हाँ बोल एक ही बात
बुला लो अपने धाम
दो आज़ादी मृत्युलोक से
ना सोचता हूँ कौन मेरी
ज़िन्दगी से दूर गये
कौन मेरे दिल को
हाँ तोड़के हुज़ूर गए
कांपता है दिल पर
सोच के ये रोज़ कि
होगा मेरा क्या यदि
हरी मुझे भूल गए ?
हरी मुझे भूल गए
तो आँखें ये तालाब है
यदि हरी मुझे भूल गए
मेरी कला पूरी ख़ाक है
यदि हरी मुझे भूल गए
तो मेरी सांसे मुझे भूल गई
यदि हरी मुझे भूल गए
फिर जीने का क्या लाभ है

क्यों मैं ये सब कार रहा हूँ ?
वो मेरे लिए महत्वपूर्ण हो गया
कि मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है ?
मैं कौन हूँ ?
मैं इस संसार में आया क्यूँ हूँ ?

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