सिया के दुःख हिंदी रैप लिरिक्स (वायू)

सिया के दुःख हिंदी

रैप लिरिक्स (वायू)

सिया के दुःख हिंदी रैप लिरिक्स (वायू)
सिया के दुःख हिंदी रैप लिरिक्स (वायू)

Song :- Siya Ke Dukh
Lyrics - Vayuu
Prod/Mix/Master :- Vayuu

सिया के दुःख हिंदी 

रैप लिरिक्स (वायू)

धरती माँ..
इस धरती पर परीक्षा देते-देते
अब मैं थक गई हूँ
अब मुझे अपने साथ ले चल...
यहाँ नारी का आदर नहीं होता “माँ”
मुझे यहाँ से ले चल...

सिया माँ के दुखो को यहाँ
कौन समझा असल में
कौन नारी बची वन में
प्रेमी संग जो भटक ​​ले
सोच के मैं रोया अपनी
माता की उन पीड़ा को
उन्हीं के कुछ आँसू
मेरी आंखों में भी दफन हैं

कथाए तो पढ़ी लेकिन
सिया सी न प्रेम की
प्रेम और पीड़ा आँखे
उन्हीं में ही देख ती
स्वयं की पीड़ा को बड़ी
कहते हैं जो ढोंगी वो
सिया सी जो पीड़ा कभी
सह ना पाया एक भी

रानी बनके आई थी
और बन गई वनवासी
भटक रही वनो में,
लक्ष्मी आम नारी
विधाता भी जिसका समय
लिखा होगा जब वो भाग्य
उनके काँपे होंगे हाथ,
चेहरे पे होगी उदासी

जिस समय होना था तन पे
आभूषण का हार
उस समय सिया को मिला
त्याग का उपहार
जिस समय पैरो तले
होनी थी महल छाव
उस समय पैरो तले कांटे,
लहूँ और घाव

कौन अब तो साथ देता
छोड़े रस्ते बीच
दिखाके यहाँ ख्वाब झूठे,
आँख लेते मींच
कलिकाल में ना कोई
जानता वियोग
भूल गए सारे ये
निभाना क्या है प्रीत

सिया माँ के दुखों के तो आगे भी,
आँसू मेरे पानी हैं
सिया माँ के दुखों के तो आगे भी,
हृदय होता भारी है
सिया माँ के दुखों के तो आगे भी,
मेरे वचन झूठी वाणी हैं
सिया माँ के दुखों के तो आगे भी,
पीड़ित भी एक सुखी प्राणी है

नाम का विश्वास बचा
नाम के यहाँ वचन भी
फेरे लेके सात सारे,
तोड़ देते क़सम भी
सिया माँ को बूँद भर भी
अगर कोई समझ ले
सारी पीड़ा छोटी ज्ञात
होगी उसको जगत की

वाटिका में बहे आँसू
देखता रहा वृक्ष
आँसू ही तो लिखे
मैंने व्यथा के समक्ष
प्रतिपल जिसका इंतज़ार
और वो आए ना
आँखों में फिर आँसुओं
का रूप लेता रक्त

कर भी ना मैं पाऊ
माँ सिया सा कुछ आभास
कौन बचा पुरुष
जिसकी राममय है स्वास
आज की भी नारी ऐसी
चाहती तो हैं राम को
लेकिन संग में राम के
ना चाहे कोई वनवास

प्रेम की पुकार है,
ऐसा होता प्यार है
पवित्र वो नारी,
जमाने पे ही धिक्कार है
भीतर की उम्मीद से
जो जल चुकी है पहली ही
बहार से अग्नि परीक्षा
देने की तैयार है

समय में फरेब के इस,
दावे भी तो झूठे
उनकी सहन शक्ति से
यहां कौन क्या है सीखे
मेरे सारे दुखो की
संख्या मिलाके देखू तो
मेरे जीवन भर के दुख
और उनका एक दुख हैं

कलियुग का ये प्राणी
कैसे करे उनसा त्याग
वादा भी मिलावट का
ये करते सारे आज
त्याग, प्रेम, विरह की
जब बात होगी कहीं
तो धरा पे आयेगा
पहले सिया माँ का नाम

भगवान श्री राम को छोड़कर
मैं किसी दूसरे पुरुष को नहीं जानती
मेरा कहना यदि सत्य हो
तो भगवती पृथ्वी देवी
इसी क्षण मुझे अपनी गोद में स्थान दें

सिया माँ के दुखों के तो आगे भी,
आँसू मेरे पानी हैं
सिया माँ के दुखों के तो आगे भी,
हृदय होता भारी है
सिया माँ के दुखों के तो आगे भी,
मेरे वचन झूठी वाणी हैं
सिया माँ के दुखों के तो आगे भी,
पीड़ित भी एक सुखी प्राणी है.......

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