नारायण लिरिक्स (घोर सनातनी)

नारायण लिरिक्स

(घोर सनातनी)

नारायण लिरिक्स (घोर सनातनी)
नारायण लिरिक्स (घोर सनातनी)

Lyrics/Rapper/Music/Mix/Master
‪- GHOR SANATANI‬
Singer- shubhamusicofficial‬

नारायण लिरिक्स

(घोर सनातनी)

पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा
पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा
किसी भूखे को न रोटी
कभी तुमने खिलाई
गौ माता जो द्वार आती
तुमने भगाई
किसी कुत्ते के न सिर कभी
हाथ सहलाया
किसी प्यासे को न तूने
कभी जल था पिलाया
किसी भिक्षु को भगाने
उसके पीछे भागना
रोज जाके मन्दिरों में
खुद भीख मांगता
सारे रूप थे उसी के
उसको सका न पहचान
अब खोजता तू राम
कभी खोजता हनुमान
पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

मंगलवार को न दारु पीता
खाता नहीं मीट
हर दिन है प्रभु का
क्यों नहीं मानता तू ढीठ
हर बेटी में है प्रभु
जिनको रहता देखता
और पाप के तवे पे
खुद की रोटी सेकता
जिन वृक्षों को तू काटे
उनके पत्तों में है राम
हुए बेघर पक्षी बता
कहाँ करेंगे आराम
तेरी जीभ के स्वाद कारण
मुर्गे देते जान
अब भी सोचता है मुर्ख
तुझको मिलेंगे भगवान
पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

कवाड लेने जाता ऋषिकेश
गंगा में नहाने
क्या ही फायदा आके
जब तूने पाप है कमाने
अपनी पत्नी पे उठाएगा
तू हाथ रोज रोज
तेरे घर में भगवान
उसको कहाँ रहा खोज
बूढ़े माँ बाप हुए
उनको धक्का मारता
और जाके मंदिरों में
आरती उतरता
मेरे शब्दों का चुभेगा
तुझे एक एक बाण
देख राम आया स्वयं
तेरे हरने को प्राण
पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

जीते जी न माता पिता को तो
हाथ भी लगाया
चार लोगों को दिखाने खातिर
कंधों पे उठाया
जीते जी न तेरे हाथ
उनके आँसू पोंछ पाए
आज हिस्सा लेने प्रोपर्टी में
आँसू भी बहाए
रखे मन में बैर
कैसे सिखा मुंह पे हंसना
लगता साँपों ने भी सिखा होगा
तुझसे डसना
वाह र ढोंगी मानव
झूठ का खिलाया मीठा पान
तेरा बस गर चलता
बेचता धरती बेचता आसमान
पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

तेरी पत्नी में भगवान
तेरे बच्चों में भगवान
माता पिता में भगवान
मन के सच्चों में भगवान
पशुओं वृक्षों में भगवान
श्वानो भिक्षो में भगवान
वायु जल में है भगवान
अम्बर थल में है भगवान
तेरे जीवन में भगवान
तेरे प्राण में भगवान
तेरे पूण्य में भगवान
तेरे दान में भगवान
नदियों खेतों में भगवान
तपती रेतों में भगवान
सोचले बनना है इंसान
या फिर बनना है हैवान

पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

पता नही किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मान के दर्पण में
वह राम के दर्शन पाएगा

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