महाकुम्भ बुला रहा लिरिक्स (छोटू सिंह रावणा)

महाकुम्भ बुला रहा लिरिक्स

(छोटू सिंह रावणा)

महाकुम्भ बुला रहा लिरिक्स (छोटू सिंह रावणा)
महाकुम्भ बुला रहा लिरिक्स (छोटू सिंह रावणा)

Singer : Chotu Singh Rawna
Lyrics : Chotu Singh Rawna
Composition :Chotu Singh Rawna
Music & Mix Master : Parmen

महाकुम्भ बुला रहा लिरिक्स

(छोटू सिंह रावणा)

युग युग कि साख ले
मन में बैराग ले
युग युग कि साख ले
मन में बैराग ले
संतों का मेला प्रयागराज में

युग युग कि साख ले
मन में बैराग ले
संतों का मेला प्रयागराज में

धूणें कि आग ले
दान पुण्य त्याग ले
संतों का मेला प्रयागराज में
ये महाकुम्भ पर्व है
जिस प्रथा पे गर्व है
ये महाकुम्भ पर्व है
जिस प्रथा पे गर्व है
धर्म के पुजारियों को
फिर बुला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

धर्म को रखेगा उसे धर्म रखेगा
धर्मधारी मानवों का भ्रम रखेगा

धर्म को रखेगा उसे धर्म रखेगा
धर्मधारी मानवों का भ्रम रखेगा
गीता का सार ले
धर्म का आधार ले
कर्म के पुजारियों का कर्म रखेगा
मन पर अँधेरा चढ़ ना ले
तू मूल से उखड़ ना ले
मन पर अँधेरा चढ़ ना ले
तू मूल से उखड़ ना ले
नदियों को सागर से
फिर मिला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

महाकुम्भ धरा कि आन रखे
तिहु लोकन में पहचान रखे
विष पीकर शंकर सागर का
देवों को अमृत दान रखे
धरती के लिए वरदान है ये
संतों का गौरव गान है
सतसंग से कुम्भ में देव रीझे
इस हेतु पर्व महान है ये...
महाकुम्भ का ही तु विचार करो
खुशियों का स्वप्न साकार करो
चहु और जगत का मंगल हो
यहाँ पापी का प्रतिकार करो

जीवन में लाख झमेले है
तीनों नदियों के मेले में
प्रयाग में आ स्नान करो
मुक्ति पाओ इस खेले में

योगी तेरे योग का ऐसा प्रभाव है
आप जैसा संत हो तो क्या अभाव है
योगी तेरे योग का ऐसा प्रभाव है
आप जैसा संत हो तो क्या अभाव है
हो अचम्भ ऐसा कुम्भ ना कभी हुआ
धर्म कि गति का ये महा पड़ाव है

कोई जात पांत ना बढ़ी
सब धर्म ध्वज तले खड़ी
कोई जात पांत ना बढ़ी
सब धर्म ध्वज तले खड़ी
महाकुम्भ सारे भेदभाव को भुला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

धर्म ध्वज हाथ लो
हिन्दुओं को साथ लो
ये महाकुम्भ फिर बुला रहा

महाकुम्भ के शोर से लोक जगे
धरती अम्बर परलोक जगे
धर्मी कर्मी सत्संग करे
दुष्टि पापी धर त्याग भगे

यहाँ भारत वर्ष अखंड करे
मेरे हाथों ध्वज दण्ड धरे
रघुवीर का बाण अमोघ चले
हर रावण के दस मुण्ड गिरे

यहाँ साधू संत बैराग मिले
कहीं प्रण पले कहीं त्याग मिले
बरसों से जो संजोग बने
ऐसा मौका बड़े भाग्य मिले

गंगा यमुना नदी तीन बहे
सरस्वती कुकू निवास करे
अखिलेश महेश दिनेश जहाँ
वहाँ तीर्थराज प्रयाग कहे
अखिलेश महेश दिनेश जहाँ
वहाँ तीर्थराज प्रयाग कहे
अखिलेश महेश दिनेश जहाँ
वहाँ तीर्थराज प्रयाग कहे....

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