शिव नाद -
जाग रे मानव लिरिक्स
![]() |
शिव नाद - जाग रे मानव लिरिक्स |
Song - Jaag Re Maanav
Lyrics - Shiv
Creative Director - Talwar
Mixing Engineer - Nitish Sharma
शिव नाद - जाग रे मानव
लिरिक्स
मैं हूँ अग्नि, मैं हूँ ज्वाला,
मैं ही सृष्टि का हर इक आला ।
भय का अंत, मैं संहार,
मेरे कदमों से थर्राए संसार ।
जो भी रुके, उसे ध्वस्त कर,
अपने भीतर का योधा प्रकट कर ।
जाग रे मानव, गरज के चल,
जीवन के संग्राम में जल ।
मैं हूँ शिव, तेरा अनंत,
मेरे साथ तू अजेय, अडिग ।
तूने देखा है जो अंधकार,
मैं लाता हूँ उज्ज्वल विहार ।
भस्म बने तेरे संशय सारे,
तेरे हाथों में जीत के तारे।
जंजीरें तोड़, खुद को पहचान,
तू ही है जीवन का वीर महान ।
जाग रे मानव, गरज के चल,
जीवन के संग्राम में जल ।
मैं हूँ शिव, तेरा अनंत,
मेरे साथ तू अजेय, अडिग ।
कंपित हो पर्वत, सागर भी हिले,
मेरे नाद से हर जग झुके ।
तांडव का स्वर जब गूंजे यहाँ,
सच का प्रकाश हो सब ओर वहाँ ।
जो गिरता है, उठना जानता,
अपने कर्म से ही भाग्य बदलता ।
मृत्यु से भय? ये भ्रम तेरा,
तू अमर है, देख स्वरूप मेरा ।
विनाश नहीं, बस नया आरंभ,
हर क्षण में छिपा है अनंत स्वप्न ।
जो चाहे, वो तू बना सके,
अपने भीतर से शिव जगा सके ।
जाग रे मानव, गरज के चल,
जीवन के संग्राम में जल ।
मैं हूँ शिव, तेरा अनंत,
मेरे साथ तू अजेय, अडिग ।
0 टिप्पणियाँ